"Ph.D. प्रमाण-पत्र पर धारक को 'डॉ.' लिखा जाने का उल्लेख नहीं"
"Ph.D. प्रमाण-पत्र पर धारक को 'डॉ.' लिखा जाने का उल्लेख नहीं"
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भारत के ''विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (U.G.C.) , बहादुर शाह ज़फर मार्ग, नई दिल्ली-- 110002" को मैंने (सदानंद पॉल) दिनांक-01 अप्रैल 2016 के सम्प्रति सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI एक्ट) के अंतर्गत सूचनावेदन (प्रपत्र-'क') रजिष्ट्री डाक से भेजकर '2' सूचना की मांग किया:--
सूचना-1-
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मैं (SADANAND PAUL) qualified the UGC-NET for eligibility for Lectureship....validity of the certificate is forever लिए हूँ । मैं अपने नाम के साथ 'व्याख्याता' लिखने के लिए मान्य हूँ । इस सम्बन्ध में यह भी सूचना देंगे कि नाम (धारक) के उपसर्ग-जगह पर 'प्रो.' (Prof.) लिख सकता हूँ, बताएँगे ।
सूचना-2-
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भारत के ''विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (U.G.C.) , बहादुर शाह ज़फर मार्ग, नई दिल्ली-- 110002" को मैंने (सदानंद पॉल) दिनांक-01 अप्रैल 2016 के सम्प्रति सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI एक्ट) के अंतर्गत सूचनावेदन (प्रपत्र-'क') रजिष्ट्री डाक से भेजकर '2' सूचना की मांग किया:--
सूचना-1-
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मैं (SADANAND PAUL) qualified the UGC-NET for eligibility for Lectureship....validity of the certificate is forever लिए हूँ । मैं अपने नाम के साथ 'व्याख्याता' लिखने के लिए मान्य हूँ । इस सम्बन्ध में यह भी सूचना देंगे कि नाम (धारक) के उपसर्ग-जगह पर 'प्रो.' (Prof.) लिख सकता हूँ, बताएँगे ।
सूचना-2-
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Ph.D. (पी-एच.डी.) धारक का अपने नाम के उपसर्ग-जगह पर 'डॉ.' (Dr.) लिखा जाने संबंधी Ph.D. के प्रमाण-पत्र पर उल्लेख नहीं है । एतदर्थ, Ph.D. वाले 'डॉ.' उपसर्ग लगाते हैं, जो गलत है । इसपर नियमन की अभिप्रमाणित- प्रतियाँ भेजेंगे ।
************ इसपर 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' के अवर सचिव -सह- जान सूचना अधिकारी ने अपने मिसिल संख्या. 1-52571/2016(RIA/PS), दिनांक-26 अप्रैल 2016 का पत्र मुझे भेजा, जो 04 मई 2016 को प्राप्त हुआ---- "उपरोक्त विषय पर आपके आर. टी. आई. पत्र दिनांक- 01.04.2016 के सन्दर्भ में आपको सूचित किया जाता है की UGC ने इस सम्बन्ध में अलग से कोई नियम नहीं बनाये हैं ।"
माँगी गयी सूचना-द्वय के जवाब सुस्पष्ट नहीं है, तथापि UGC के अवर सचिव का यह लिखना कि अलग से कोई नियम नहीं हैं यानी मेरी सूचना संख्या-1 के लिए 'प्रो.' के स्वीकार पक्ष में है, तो सूचना संख्या-2 के लिए Ph.D. धारक को 'डॉ.' नहीं लिखा जाने को लेकर है ।
इस सूचनोत्तर के विरूद्ध मैंने दिनांक-09 मई 2016 के सम्प्रति रजिष्ट्री डाक से UGC को 'प्रथम अपील' (प्रपत्र-'छ') भेजकर गुहार लगाया-- "मैंने जो सूचनाओं की मांग किया है, उनका स्पष्ट-उत्तर / सूचनोत्तर नहीं दिया गया है । UGC-NET प्रमाण-पत्र पर व्याख्याता / Assistant Professor हेतु qualify लिखा होता है, इसलिए अभ्यर्थी के नाम के साथ 'प्रो.' लिखा जाने , वहीँ Ph.D. प्राप्तकर्त्ता के प्रमाण-पत्र पर 'डॉ.' लिखा जाने संबंधी कोई चर्चा नहीं है, इसलिए Ph.D. धारक के नाम से पहले 'डॉ.' (Dr.) लिखा जाना गलत है । यह उचित है--नियमन की प्रति माँगा गया, जो नहीं दिया गया । स्पष्ट है, 'डॉ.' लिखा जाना न चाहिए ।"http://rtimessage.blogspot.in/2016/08/blog-post.html
************** इसपर 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' के संयुक्त सचिव -सह- प्रथम अपीलीय प्राधिकारी ने अपने फ़ाइल संख्या- F.1-52571/2016 (RIA)/PS, दिनांक- 17 जून 2016 का पत्र मुझे भेजा, जो 21 जून 2016 को प्राप्त हुआ, जिनपर लिखा है---
"1.) I have considered the facts and submissions advanced by the appellant and PIO . In this regard, I find that the information provided by the PIO was found to be satisfactory. He may please note the UGC has not prescribed any specific norms on the issues raised by him.
2.) The appeal is disposed off accordingly. "
**************** UGC के दोनों अधिकारियों के वही जवाब । इस संस्था UGC के पास 'डॉ.' लिखा जाने के कोई नियम नहीं, तो मैं अब से स्वयं को 'प्रो. सदानन्द पॉल' कहलाना चाह रहा हूँ । आमीन ।
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