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"22 दिसंबर : राष्ट्रीय गणित दिवस (गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम् जयंती)"

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"22 दिसंबर : राष्ट्रीय गणित दिवस (गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम् जयंती)" _________________________________________________________ "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक : जानिये आगामी अभाज्य सं. को" (लेखक और गणितज्ञ:- प्रो0 सदानंद पॉल) -------------------------------------------------- सम्पूर्ण संसार के गणितज्ञ और थोड़े-बहुत गणित के जानकार भी 'अभाज्य संख्या' ज्ञात करने के नाम से परेशान और आक्रान्त रहा है । भारत 'संख्या-सिद्धांत' (Number - Theory) के मामले में अद्भुत जानकार देश रहा है । महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम् ने 33 वर्षीय अल्प-जीवन में ही 'संख्याओं' पर प्रमेय दिए , जिनके जन्मदिवस पर भारत गणित-दिवस भी मनाता है । इनके नाम पर कई संस्थाएँ और पुरस्कार हैं । परंतु 'अभाज्य-संख्या' पर इनका रिसर्च अधूरा ही रहा था। मैंने बाल्यावस्था से ही संख्या-सिद्धांत पर अनथक कार्य करते आया है । 'सदानंद पॉल की गणित-डायरी' का प्रथम संस्करण मात्र 11 वर्ष की अल्पायु में छपा था। parallel pi = 19/6, Non-FLT (फ़र्मेट के अंतिम प्रमेय

"भारत सरकार ने मेरा सुझाव मानी:अखबारी कागज़ पर नाश्ते की मनाही हो"

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"भारत सरकार ने मेरा सुझाव मानी:अखबारी कागज़ पर नाश्ते की मनाही हो" _________________________________________________________ मैंने गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्ली को प्रपत्र 'क' (आर. टी.आई. एक्ट अंतर्गत) दि.08.12.2014 को पाँच सूचनाओं की मांग के साथ प्रेषित किया था, जिनमें "सूचना संख्या-4:-चौक-चौराहे में नाश्ते की दुकान पर नाश्ता 'अखबार' (अखबारी कागज़) पर दिया जाता है, जिनकी स्याही से 'बवासीर' (रोग आदि) होते हैं, इसपर रोक संबंधी सूचना देंगे"---- हेतु गृह मंत्रालय के शुल्क प्राप्ति रसीद सं. 32378/दि.15.12.2014 प्राप्त हुई थी ।  किन्तु इस मांग पर तब समयावधि में सूचना प्राप्त नहीं होने पर दि.13.01.'15  को माननीय मंत्रालय के प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को 'प्रथम अपील' किया, तब जन सूचना अधिकारी -सह- उप सचिव श्री वी.के.राजन के पत्रांक- A.43020/01/2014-RTI/ दि.30.12.2014 की प्राप्ति 13.01.2015 के बाद  होती है ।                                           खैर, संदर्भित सूचना सं.4 के लिए जवाब यह आया--"It is stated that the

"पुराने नोटों पर 'गाँधी जी' के गलत-तस्वीर लगे हैं, वित्त मंत्रालय और RBI को मैंने सर्वप्रथम लिखा था : नए पत्रमुद्रा (नोट) का जारी होना, उसी के परिणाम"

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"पुराने नोटों पर 'गाँधी जी' के गलत-तस्वीर लगे हैं, वित्त मंत्रालय और RBI को मैंने सर्वप्रथम लिखा था : नए पत्रमुद्रा (नोट) का जारी होना, उसी के परिणाम" ----------------------------------------------------------------------------------------- वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने दि.14.11.2016 के अखबारों में बड़ा-सा विज्ञापन प्रकाशित कराया है, जो www.paisaboltahai.rbi.in के द्रष्टव्यश: है । प्रकाशित विज्ञापन का शीर्षक है- "अब आपके बैंकनोट नए डिजाईन में : भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नई श्रृंखला में ₹2000 और ₹500 के नोट जारी"। इनमें जारी दोनों नए नोट के अग्र और पृष्ठ भाग का तस्वीर को उसी रंग में सविश्लेषित प्रकाशित किया गया है । अखबार में प्रकाशित नए नोट और तथ्य सुस्पष्ट प्रतीत हो रहा है । अब मैं इस आलेख के शीर्षक "पुराने नोटों पर 'गाँधी जी' के गलत-तस्वीर लगे हैं, वित्त मंत्रालय और RBI को मैंने सर्वप्रथम लिखा था : नए पत्रमुद्रा (नोट) का जारी होना, उसी के परिणाम" विषय पर लौटते हैं । मैंने 21.01.2016 के RTI आवेदन वित्त मंत्रालय (आर्थिक कार्य विभाग), भा

*'नयी मुद्रा' पुरानी और खोटी मुद्रा को प्रचलन से कर देती है बाहर*

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*'नयी मुद्रा' पुरानी और खोटी मुद्रा को प्रचलन से कर देती है बाहर* ---------------------------------------------------------------------------------- "भारत सरकार का अच्छा कदम,हमें निर्णय पर सहयोग करने चाहिए" ----------------------------------------------------------------------------------- अर्थशास्त्र के अकाट्य नियमों में -- 'नयी मुद्रा' व 'स्वच्छ मुद्रा' पुरानी, बुरी, अप्रचलनीय, खोटा, नकली मुद्रा को प्रचलन से बाहर कर देती है -- कोई नया नियम नहीं है । भारत सरकार द्वारा देश की आर्थिक ढाँचा को सुदृढ़ता प्रदान करने में किए गए उपक्रम कि "पुराने ₹500 और ₹1000 के नोट इतिहास में दर्ज़ हो गए (विशेष परिस्थिति को छोड़कर)" के प्रति हमें सादर आभार व्यक्त करने चाहिए । 'देश के नाम सन्देश' में माननीय प्रधानमन्त्री ने सुस्पष्ट कहा है कि 125 करोड़ भारतीयों के रुपये में किसी प्रकार के संकट के बादल नहीं उमड़े हैं । हालांकि व्यवस्था परिवर्तन पर कुछ दिन अफरा-तफरी रहेंगे, परंतु स्थिति फिर सामान्य हो जाएंगे । पुराने नोटों के लिए कुछ अत्यंत थोड़े द

*"मा. विधायक द्वारा विद्यालय में 'राष्ट्रध्वज' फहराने के नियम उपलब्ध नहीं"*

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"मा. विधायक द्वारा विद्यालय में 'राष्ट्रध्वज' फहराने के नियम उपलब्ध नहीं" -------------------------------------------------------------------------------------- राज्य सूचना आयोग, पटना में स्थापित वाद सं. 128038/14-15 के आलोक में RTI सम्बंधित मेरा आवेदन (प्रपत्र-'क') पर अंतरित लोक सूचना पदाधिकारी के प्रसंगश: 2 साल के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, कटिहार के जि.का.पदा., स्थापना, कटिहार के पत्रांक-- 3022 / स्था. शि. / दि. 02.11.2016 प्राप्त हुआ, जिनमें मनिहारी नगर पंचायत के दो उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के तत्वश: सूचनोत्तर को कोट कर लिखा गया है---- ".... माननीय विधायक द्वारा राष्ट्रध्वज फहराये जाने संबंधी किसी प्रकार के नियम सम्बंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है ।" ध्यातव्य है, दोनों विद्यालयों के लो.सू.पदा. ने यह भी लिखा है-- ".... किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक द्वारा राष्ट्रध्वज फहराये जाने की परम्परा है ।" जिनकी प्रति यथोक्त पत्रांक-पत्र के साथ संलग्न है और यथोक्त पत्रांक-पत्र साक्ष्यार्थ इस वाल पर है ।

*"छठ पर्व : जहाँ डूबते सूरज की भी पूजा होती है "*

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" छठ पर्व : जहाँ डूबते सूरज की भी पूजा होती है " ------------------------------------------------------------- 'दीपावली से छठ तक' नामक शीर्षक राष्ट्रीय साप्ताहिक 'आमख्याल' के दिनांक- 09.12.1993 अंक में छपा था । खासकर 'छठ' पर मेरे द्वारा लिखित और प्रेषित इसतरह के रिपोर्टिंग की आयु अब 23 बरस हो गयी है । सम्प्रति वर्ष-2016 में भारत के लगभग 25-30 करोड़ आबादी 'छठ' से प्रभावित हैं । यह कुल भारतीय मानवों के 5वाँ हिस्सा है । मूलत: बिहार, झारखण्ड सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश, प. बंगाल के उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र, नेपाल के मधेशी क्षेत्र में 'छठ' मनाये जाते हैं । इन क्षेत्रों को छोड़कर जहाँ 'छठ' नहीं मनाये जा रहे हैं , वैसे राज्यों (राजस्थान) के राष्ट्रीय अखबार 'आमख्याल' में इनसे सम्बंधित रिपोर्टिंग-फ़ीचर पहलीबार मेरी ही छपी थी । यह पर्व folk festival लिए विस्तृत क्षेत्र और आबादी को प्रभावित करता है । 'छठ' विशुद्ध रूप से शाकाहार, आरवाहार, फलाहार इत्यादि आधारित पर्व है । मैं इस पर्व की आस्था, अंध-आस्था, लोक-मानस से उपजे गल्प या

*"रामधारी सिंह 'दिवाकर', पंकज चौधरी, शहंशाह आलम की टटकी रचना पढ़ा"*

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"रामधारी सिंह 'दिवाकर', पंकज चौधरी, शहंशाह आलम की टटकी रचना पढ़ा" ----------------------------------------------------------------------------------------- तीनों को काफी-काफी बरस हो गए , जानते हुए ! यह अलग बात है, 'पहचान' पैमाना मृत्युपर्यंत भी लोकेटेड नहीं हो पाता !! खैर, तीनों से अच्छी जान-पहचान है, यही यहाँ कहना ज्यादा श्रेयस्कर , समीचीन और प्रासंगिक है !!! डॉ. रामधारी सिंह 'दिवाकर' मेरे सर और पश्चश: वरेण्य मित्र हैं, पंकज चौधरी जी बड़े आत्मीय और शहंशाह आलम जी कभी-कभार मिलन-मित्र हैं !!!! किन्तु तीनों से 'मित्र' शब्द डंके की चोट के साथ उभरते हैं । कथाकार दिवाकर जी की कहानी 'देहरी भई बिदेस' पढ़ा, जो 07 नवम्बर '16 के 'आउटलुक' (हिंदी) में छपा है । इस कहानी में माता यशोदा ... मेरी माँ का नाम भी यही है, जो मेरे पास रहती है, परंतु कथा-पुत्र के तरह मैं हरगिज़ नहीं, हो भी नहीं सकता ! कहानी का प्रकाशन टटकी है, किन्तु कथा-विन्यास पुराना है । हाँ, दिवाकर जी रचित कहानी 'गाँठ' से मैं बेहद प्रभावित हुआ था । गाँठ ने जाति के अंद

*"31 अक्टूबर : आह्लादसारी और प्रलयकारी तिथि का मिश्रण"*

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"31 अक्टूबर : आह्लादसारी और प्रलयकारी तिथि का मिश्रण" ----------------------------------------------------------------------- वर्ष 1875 का 31 अक्टूबर को वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ, गाँधीजी के चंपारण कृषक सत्याग्रह के प्रसंगश: बारदोली में कृषक सत्याग्रह का नेतृत्व पटेल ने किया था । चूंकि इस आंदोलन में महिला कृषकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा ली थी और पटेल के करिश्माई नेतृत्व ने इन महिलाओं को काफी प्रभावित की । महिला कृषकों ने उन्हें तब से 'सरदार' कहना शुरू कर दी । कालान्तर में यह शब्द नामोपसर्ग में लगकर सरदार वल्लभ भाई पटेल के रूप में संसारख्यात् हो गए । भारत को आज़ादी मिळते ही देश ने इसे अपना पहला गृह मंत्री बनाया और अपने व्यक्तित्व संग कृतित्व के बूते सप्ताह से कम दिनों के अंदर ही देश ने उन्हें उप-प्रधानमंत्री भी बना दिया । तब भारत में सैकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे देशी राजे-रजवाड़े का बिखराव, बड़े रियासतों में हैदराबाद के निज़ाम, ज़ूनागढ़ रियासत, कश्मीर के महाराजा इत्यादि के भारत के प्रति पूर्ण समर्पण का अभाव से सरदार पटेल को लगा .... अंग्रेजों ने 'फूट' डालने का जो मन

"INTERNATIONAL मकड़जाल दिवस"

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दुनिया का सबसे "छोटा पत्रवार्त्ता" (shortest letter with reply) के बारे में कुछ लोगों का कहना है-- एक मित्र ने दूसरे मित्र को यह "लैटर" भेजा, जिनका "रिप्लाई" अग्रांकितरूपेण आया--- पहला मित्र ने सिर्फ संकेत लिखा-- ? दूसरे मित्र का जवाब संकेत में ही आया-- ! ज्ञात हो, यहां '?' से तात्पर्य 'कैसे हो' से है, जबकि '!' से तात्पर्य 'वैसा नहीं, जैसा रहना चाहिए' से है । अबतक का सबसे "छोटा पत्रवार्त्ता" का खिताब इन्हें ही मिला है । इसी 'छोटपन सन्देश' के आदान-प्रदान के शायदतन ही 'INTERNET' की शुरुआत हुई होगी । मेरे वरेण्य अज़ीज़न ! तारीख 29 अक्टूबर 2016 को 'INTERNATIONAL INTERNET DAY' है । दूरसंचार व प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण अवदान को सँजोये रखने के बनिस्पत 'INTERNATIONAL INTERNET DAY' पहली बार 11 साल से पहले 25 अक्टूबर 2005 को मनाया गया था, लेकिन एक संशोधन के बाद 2006 से हर वर्ष यह 29 अक्टूबर को ही मनाये जा रहे हैं । इसी तारीख को अमेरिका के 'यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया लॉस एजिल्स'

*"दीपावली के लिए शुभकामना-सन्देश"*

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"दीपावली के लिए शुभकामना-सन्देश" _____________________________ भारत के प्रायः गाँव-क़स्बे में कोई न कोई सैनिक अथवा सैन्याधिकारी के परिवार रहते हैं । हमारे तरफ से उनके परिवार को प्रत्येक पर्व-त्यौहारों में हस्तलिखित सुन्दर-से स्केचिंग कर शुभकामना-सन्देश रजिष्ट्री-डाक से भेजे जाय, ताकि सैनिक परिवार इसे फ्रेमिंग कर रख सके और रजिष्ट्री शुल्क के रूप में 22 रुपये जो भारतीय डाक विभाग को दिया गया, उसे शहीद और घायल सैनिक राहत कोष में जमा किया जाय । यही इस दीपावली में दीप जलाने से भी उन्नत उन्हें सच्ची शुभकामना होगी । भारत माता की जय । जय हिन्द ।

*"सोनिया मैय्या सुधरी, ये राहुल भैया को क्या हो गया !"*

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*"सोनिया मैय्या सुधरी, ये राहुल भैया को क्या हो गया !"* ------------------------------------------------------------------- बकौल, सोनिया गांधी--- "... मौत के सौदागर..." । कोर्ट की कड़ाई करने पर सोनिया ने ये बात समझी कि आखिर वे क्या कह रही हैं ! चलिए, सोनिया गरीब घर में जन्मी थी, तथ्य समझ गयी । ये राहुल बाबा , जिनके बाप प्रधानमन्त्री रहे, दादी प्रधानमन्त्री थी और दादी के बाप भी प्रधानमन्त्री थे । दादी के दादा की संपत्ति और वकालत से अर्जित आमदनी इतनी थी कि उस वक्त पूरे भारत को 6 माह बिठाकर खिला सकते थे (लेकिन ऐसा कभी नहीं किये), उस परिवार के राहुल बाबा , जो अपने इस परिवार के रोमांटिक उम्र से उलट अबतक कुंवारे हैं , जिनके बाप और दादी की हत्या कर दिए गए और भारतवर्ष के लिए शहीद हो गए वे दोनों, उस राहुल गांधी को अत्यंत गरीब घर से निकले प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के लिए ऐसे वाक्यांश नहीं बोलने थे---"..... शहीदों के खूनों की दलाली खानेवाले....." शर्म करो जरा राहुल । पिछले दिनों एम. काटजू के बयान पर (जो सच में देशद्रोह बयान था) हो-हल्ला मचानेवाले वे राजनेता आज कह

*"एक दोस्त के नाम ख़त : हिन्दू है सबसे उदारवादी धर्म"*

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*"एक दोस्त के नाम ख़त : हिन्दू है सबसे उदारवादी धर्म"* ------------------------------------------------------------------- प्रिय मित्र प्रदीप, संस्पर्श नमन् !  जब आप खुद 'प्रदीप' हैं, तो आपको स्वयं सहित दूसरे के घरों को भी उज्ज्वल करने चाहिए । कितने को सहयोग किया है, आपने ! जो आप प्रदीप कहलाते हैं । प्रदीप तो प्रकाशित करता दीपक होता है, फिर कैसे और क्यों प्रदीप हो गए आप ?  कभी आपने अपनी माँ-पिता और अपना तथा भाई-बहन का DNA टेस्ट कराया ? आपने होश संभालते ही आपको बताया गया की ये आपके पिता हैं, माता हैं या भाई-बहन हैं ! इसपर कितनी बार आपने प्रश्न किया ? कितनी बार शक किया ? ? रिश्ता विश्वास पर टिका है । घर पर पत्नी को छोड़कर 8 घंटे लोग ड्यूटी पर रहते हैं ! पति-पत्नी के आपसी विश्वास ही रिश्ते को प्रगाढ़ करते हैं । आपको 'दुर्गा' या 'माँ दुर्गा' के बारे में आस्था नहीं है तो मत रखिये , लेकिन इनपर किसी के आस्था पर कुठाराघात भी आपके द्वारा जनित प्रताड़ना माना जाएगा ! वैसे भी हमारे समाज में नारी को सम्मान और देवी की नज़र से देखी जाती है । हिन्दू धर्म की विवाहि

*"2 अक्टूबर 1869 - क्या यह गलत जन्मतिथि है 'महात्मा गाँधी' के ?"* (Gandhi jee's birthdate Oct. 02, 1869 is doubtful ?  )

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*"2 अक्टूबर 1869 - क्या यह गलत जन्मतिथि है 'महात्मा गाँधी' के ?"* (Gandhi jee's birthdate Oct. 02, 1869 is doubtful ?  ) ------------------------------------------------------------------------------- आज से 10 साल पहले मैंने स्व0 देवकीनन्दन सिंह की पुस्तक 'ज्योतिष-  रत्नाकर' (पृष्ठ संख्या- 979 से 985 तक/ पुनर्मुद्रण वर्ष- 1999/ प्रकाशक- मोतीलाल बनारसीदास) पढ़ा, तो पाया महात्मा गाँधी की जन्मतिथि विक्रमी संवत् में 'आश्विन बदी द्वादशी, संवत् 1925' लिखा है, जबकि गाँधी जी की जन्मतिथि उनकी 'आत्मकथा' (गुजराती और हिंदी संस्करण) के अनुसार विक्रमी संवत् में 'भादो बदी द्वादशी, संवत् 1925' है, दोनों तरह की पुस्तकों में महात्मा गाँधी की जन्मतिथि की अँग्रेजी तारीख 02 अक्टूबर 1869 ई0 ही प्रकाशित है, किन्तु यह प्राथमिकता के तौर पर नहीं , अपितु 'अर्थात्' लिए है ! जिन वर्षों में और जहाँ (सौराष्ट्र प्रांत) गाँधी जी ने जन्म लिया, वहाँ और उस समय हिन्दू व जैन  परिवारों में विक्रमी संवत् का प्रचलन था । विज्ञानलेखक डॉ0 गुणाकर मुळे ने मुझे 'ह