*"ज़ज़्बे का गुरुज्ञान"*
*"ज़ज़्बे का गुरुज्ञान"*
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"मुलायम धूप,
गर्म बर्फ,
नीली घास,
रात्रि इंद्रधनुष,
सफ़ेद क्रोध,
अग्नि ठंड,
क्षमातु बाघ,
क्रुद्ध ममता,
अडिग संत,
सभी विपरीत है
और इनके ज़ज़्बे के साथ,
जो प्रक्रम या इंसान का अक़्स
उभरता है........
वो मेरे मनु का है
कि तुम्हारे शब्द स्वागत के लिए बने हैं
मुलायमी स्वागत के लिए,
जैसे- रूह को रूई से ढँक दिया गया हो
या पत्ते पर रंग-बिरंगे चींटी दौड़ लगा रहे हों
कि ऊँघते ऐसे लोगों के लिए
धरती ही बिछौना हो
हाँ, भइया,
पैसे से नींद की गोली खरीद सकते हो,
सिर्फ़ नींद नहीं !"
(*सदानंद पॉल*)
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